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सम्भावनाये

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में निकल रहा हूँ संभावनाओं की तलाश में आज तो | लेकिन छोड़ के जा रहा हूँ एक बिंदु तेरे पास || बिंदु जिसमे संभावनाएं हैं लकीर बनने की | लकीर जिसके साथ हम तय कर सकते हैं सफर क्षितिज तक का  सम्भावनाये तो उसके पार की भी हैं  वैसे || रखले उस बिंदु को सम्हाल कर फ़िलहाल | सिरहाने के नीचे, या अपनी हथेलियों में तील बनाकर || कल फिर जब संभावनाएं अनुकूल होगी हम अपनी लकीर तलाशेंगे | और तय करेंगे सफर क्षितिज तक का  या उसके भी पार शायद ||